ज़माने से बेपरवाह रहती है
दुनिया के दिखावे से अंजान है
माँ तू ऐसी क्यों है
जो मेरी खुशियों में अपनी खुशियाँ संजोए रहती है।।
– मनीष
ज़माने से बेपरवाह रहती है
दुनिया के दिखावे से अंजान है
माँ तू ऐसी क्यों है
जो मेरी खुशियों में अपनी खुशियाँ संजोए रहती है।।
– मनीष