ज़्यादा दिमाग़ न आज लगाया जाए
सिर्फ मन में ज़मी मैल को बहाया जाए
धर्म और परंपरा की ऐसी भी न कट्टरता हो
कि होलिका की तरह औरत को जलाया जाए
सौहार्द और प्यार का रंग भरकर मन में
जो रूठे हैं आज उनको मनाया जाए
रंगो ,अबीरों और गुलालों की बारिश करके
दिल को पानी कर ,पानी को बचाया जाए