रिश्तों के धागों से खुद को सिलना सीख लेते हैं,
आसमां से ज़मी के बीच ही खिलना सीख लेते हैं,
बनाते ही नहीं ख्वाब वो उन मखमली बिस्तरों के,
गरीबी की गोद में ही जो बच्चे हिलना सीख लेते हैं।।
राही अंजाना
रिश्तों के धागों से खुद को सिलना सीख लेते हैं,
आसमां से ज़मी के बीच ही खिलना सीख लेते हैं,
बनाते ही नहीं ख्वाब वो उन मखमली बिस्तरों के,
गरीबी की गोद में ही जो बच्चे हिलना सीख लेते हैं।।
राही अंजाना