ज़मी राही अंजाना 5 years ago रिश्तों के धागों से खुद को सिलना सीख लेते हैं, आसमां से ज़मी के बीच ही खिलना सीख लेते हैं, बनाते ही नहीं ख्वाब वो उन मखमली बिस्तरों के, गरीबी की गोद में ही जो बच्चे हिलना सीख लेते हैं।। राही अंजाना