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ज़िंदगी अभी तक थमी हुई है

उसका हुस्न – ए – तसव्वुर जैसे ज़िंदगी थमी हुई है

ज़ियारत -ए -रुख़-ए -अनवर आज सुबह ही हुई है

उसकी सोहबत  से फ़ुरक़त हैं  ‘मियाँ ‘

फिर भी दयार -ए -दिल की क़िस्मत तो देखो

ज़िंदगी अभी तक थमी हुई है

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