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ख़्वाब है या के  ख़्वाबो  की ताबीर है

ख़्वाब है या के  ख़्वाबो  की ताबीर है..

ज़िन्दगी इक पहेली की तस्वीर है..

 

है बदौलत  फ़कत अपने आमाल की

अय नजूमी जो हाँथों में तहरीर है..

 

उम्र तिफ़्ली की  मौजे रवां जा चुकी

ज़िम्मेदारी कि अब तंग  ज़ंजीर है

हाँथ पर हाँथ रक्खे हुये लोग

कोसते  रहते हैं   कैसी  तक़दीर है..

 

ऊँचे ऊँचे पहाडों को देखा था जब

आज तबदील जर्रे मॆं तस्वीर है..

 

अपने बारे मॆं है सोच आरिफ की यॆ

जिस्म जानो जिगर रब कि  जागीर है..

 

आरिफ जाफरी..

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