सरकार और दलित बस्तियाँ
उन दलितों और शोषितों के लिए,
क्या किया केंद्र की,
वर्तमान सरकार ने?
आज भी गुजरता हूँ, जब
उन दलित बस्तियों से
कचरों की ढेर पर, देखता हूँ
मासूम कंकाली बच्चों को-
कुत्ते और सूअरों के साथ
जूठे पत्तलों की छीना-झपटी करते….!
मैंने देखा है,
उन दलित और वंचित औरतों को
सरेआम टूटी सड़कों पर
अपने अंगों को, फटे-पुराने
चिथरों से ढ़कते….
जिन चिथरों को कभी
किसी ने वर्षों पहले, फेंका होगा
कचरों की मीनार पर…..!
उन दलित, पिछड़े
परिवारों के लिये
क्या कर रही यह सरकार….?
जिनके घर कभी-कभी, देर रात
टूटे चूल्हे/भींगी लकड़ियों
पर डपकते हैं चावल,
जिसे देख-देख खुश
हो जाते हैं नंगे बच्चे…..
और अधिकांश दिन
वह भी नहीं मिलने पर-
पी कर उन गढ्ढों के मटमैले पानी
सो जातें उन गंदे, बदबूदार
कीचड़ों से लतफथ जानवरों के संग
सूर्योदय के अंतहीन इंतजार में…..!
Behatreen
thnx
bahut khoob
thnx