न जाने वो कौन थे
न जाने वो कौन थे ,
मोहबत का तवजु दे गए मुझे ,
न जाने वो हमदर्द कौन थे,
लिखी न कभी दास्ताँ दिल की ,
दिल जला वो दे गए ,
जाने वो खुदगर्ज़ कौन थे,
रास्ता ढूंढता मुसाफिर बन जहां ,
वो राही बन बेसहारा कर गए,
जाने वो सरफिरे कौन थे ,
में चला जहां जो अपनी चाल कही ,
वे काफिला बन साथ चल गए ,
जाने वो हमदम कौन थे,
अब कही अपनी राह पा चूका,
मिले जो वो जन मौन है ,
सोचु में बस यही , न जाने वो कौन थे।
कवि निशित लोढ़ा
Umda
Bahut ache dost
lajabab
dhanyaad
Behtareen