प्यार में भीगते-भिगाते रहो
आज जितना भी बरसता है
बरस जाने दो,
फिर तो सावन भी चला जायेगा,
सींच कर कोना-कोना धरती का
फिर तो सावन भी चला जायेगा।
आज जितना भी चाहो भीगो तुम
प्यार ही प्यार भरा मौसम है,
प्यार में भीगते-भिगाते रहो,
फिर तो सावन भी चला जायेगा।
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सादर धन्यवाद शास्त्री जी
बहुत ही बढ़िया
सादर धन्यवाद
Acha
धन्यवाद
bahut khoob
धन्यवाद
बहुत खूब
nice