Site icon Saavan

Aaya Sawan Khushiyan Le Kar!

आया सावन खुशियाँ लेकर
खुश हुई कुदरत बूँदें प् कर
फ़ैल गयी चारों ओर हरियाली
खिल गए फूल डाली डाली
पायल चनका रही पावस रानी
चालक गया नदियों से पानी
चहचहा रहे हैं पंची दूर गगन में
नाच रहा है मो़र अपने पंख ताने
बुझ गयी पृथ्वी की तृष्णा
सानंद हुआ कृषक अपना
सोंधी सोंधी उठी सुगंधी
बह रही है पवन ठंडी ठंडी
दौड़ उठी कागज़ की कश्ती
बहने मेंहदी रचा आनंद झूलों का लेती
आ गया पर्वों का मौसम
राखी तीज जन्माष्टमी और ओणम
बरखा ने शीतल किया मन्
प्रसन्न हुआ जन जन ।

Exit mobile version