थम गया सिलसिला 2021 का
हमें रुलाकर जा रहा है ,
दिया भले ही कुछ ना हो इसने
पर बहुत कुछ सिखा कर जा रहा है।
कभी आये आँख में आँसू तो कभी
हँसा कर गया है
दिये कई जख़्म इसने तो मरहम लगा कर गया है।
खोया हमनें अपने हमदर्द को तो
महबूब भी दिला कर गया है।