रंग से परहेज़ कैसा
नवगीत आजकल है खुब चलन में झूठ का ये क्रेज़ कैसा ? रंग सच का हो अगर तो रंग से परहेज़ कैसा ? धर्म की…
नवगीत आजकल है खुब चलन में झूठ का ये क्रेज़ कैसा ? रंग सच का हो अगर तो रंग से परहेज़ कैसा ? धर्म की…
आप सब की नज़र को आख़िर , क्या हुआ है शहर को आख़िर . नफरतों की लिए चिंगारी , लोग दौड़े कहर को आख़िर .…
फिर आज गुलालों के खातिर बदरंग बनेगे होली में । अंग अंग पर रंग सजा हुड़दंग करेगे होली में ।। न जानेगे कितने रंग नये…
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