पवन हूँ चंचल
तूफ़ान तो नहीं हूँ लेकिन पवन हूँ चंचल तेरे आसपास चलकर शीतल करूंगा पल-पल। संगीतमय करूंगा कविता से तेरा आँचल उन्मुक्त खुशियाँ दूंगा तोडूंगा गम…
तूफ़ान तो नहीं हूँ लेकिन पवन हूँ चंचल तेरे आसपास चलकर शीतल करूंगा पल-पल। संगीतमय करूंगा कविता से तेरा आँचल उन्मुक्त खुशियाँ दूंगा तोडूंगा गम…
मैं नारी हूँ , मैंने ऐसे महापुरुष देखे हैं नारी के सम्मान में खुद को युधिष्ठिर और दूसरों को दुःसाशन दिखाते देखें हैं।
ज़रा सी बात पर चिढ़ना दूसरों को बुरा कहना ये आदत छोड़ दो ना जी उल्टी बात शुरुआत तुमने ही करी थी ना, मिला उत्तर…
बात ठंडी हो चुकी थी फिर लगाने आग आये सोचते हैं जो कहें हम सब करें स्वीकार उसको। दूसरों पर फेंक कीचड़ मत बनो यूँ…
पतन हाँ पतन पतन की शुरुआत कब होती है , जब घमंड की पराकाष्ठा होती है, जब अपने से काबिल कोई नहीं दिखता है आँख…
प्यारी सी शुभरात्रि है सभी को कविता यूँ ही खिलती रहे सावन में बरसती रहे
सावन मास शिव का मास शिव ही शिव चारों ओर बरसात की बूंदें शिव को करा रही स्नान , देवाधिदेव महादेव का आओ सब करें…
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