किस से सिकवा करू
किस से सिकवा करू, किस से सिकायत करू ; जब अपना समझा ही नही तो किस से दिल की बात कहूँ। ज्योति।
किस से सिकवा करू, किस से सिकायत करू ; जब अपना समझा ही नही तो किस से दिल की बात कहूँ। ज्योति।
✍✍देखो देश को कैसे बचा लिया इसने , देश के खातिर साँसो से लोहा लिया इसने झंडा झुके ना आजादी दिवस की कैसे यमराज को…
✍✍ये मतलबी दुनिया मे मेरा कोई ना अपना मिला,, जो मिला लिबाज की तरह बदल कर दर्द दे निकल पड़ा।।✍✍✍
✍✍जो लिबाज की तरह बदल गये जवाने उसी को बहादुरी दी,, जो इंसानयत पर डटे रहे जवाने उसी को गाली दी✍✍✍
✍✍काश मेरे हाथ मे किश्मत का लकीर होता ,, तो शायद तुम्हारा ही नाम होता।।✍✍ ज्योति
सुना है इश्क की बजार खुली है मेरे शहरो मे, जो जहजे दिल के आदमी है उनके लिए नया आँफर लाया है मेरे शहरो ने।…
बंजर भुमी मे बीज नही बारूद बोयेगे कह दो अब दुश्मन से हाथ जोड़ेगें नही बार करवायेगे✍✍ – ज्योति
✍✍✍काश मेरे मुल्क मे ना जाती ना धर्म होती , शिर्फ एक इंसायनित की नाम होती,, तो दिल्ली मै बैठे गद्देदार की रोटी नही सिझती।…
✍✍ मत करना प्यार आज की युवती से, प्यार नही सौदा करती आज की युवाओ से, पैसा- को महत्व देती वो ना देगी प्यार ,…
✍✍इतना जगह दिया तुझे दिल की फुलवारी मे, तु दो खुदगर्ज निकली तोड़ ली सारी फल और झकोर दी मेरी कोमल सी फुलवारी।✍✍✍ – ज्योति
कंकड वाले रास्ते हो ,या हो साफ रास्ते, सफर को पुरा करने के लिए अरमान बाँकी है। बाँध लिया कफन तेरे नामो की माथे पर…
✍✍इस ख्वाइशों की समन्दर ने मुझे चखना-चुर किया। अपनी मीठी धारा दिखाकर मुझे लहूँ- लुहाँन किया है✍✍✍ ज्योति
इंसान तेरी गजब सोच , पत्थर के जानवर के साथ खिचाते हो पीक, और जीवित जानवर को पत्थर मारकर भगाते हो, अजब तेरी सोच गजब…
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