उसके दर्द को क्या करू बया
उसके दर्द को क्या करू बया … उसकी रूह की चीखें गूंज रही … उसके आसुओ का इन्साफ मागने वाले …. उसे अपना सकेगे ये…
उसके दर्द को क्या करू बया … उसकी रूह की चीखें गूंज रही … उसके आसुओ का इन्साफ मागने वाले …. उसे अपना सकेगे ये…
दिया जल कर कभी बुझने नहीं दिया उम्मीद का.. भुला कर खुद को कर दिया रोशन नारी ने जिस जहाँ को.. काश वो कभी खुद…
आसमान से गिरती हर एक बूँद की अपनी एक कहानी है .. एक गगन से गिरने के बाद भी सब को अपनी मंजिल खुद ही…
फिर से आज हमने कलम उठाई है… हाथ में फिर वही पुरानी डायरी आई है… सोच ही रहे थे कुछ नया लिखने में क्या बुराई है..…
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