राम-नाम

डूब वहाँ, मोती जहाँ, कंकड़ मत तू छान सुख-माणिक का सिंधु बस, राम नाम ही जान “मैं”, “मेरा” ही जगत में, सब कष्टों का मूल “तू”, “तेरा”…

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