~~”मजदुर”~~

~~”मजदुर”~~ ..वह ‘सृजनकर्ता’ है ‘दुख’ सहके भी ‘सुख’ बांटता है.. ..वो ‘मजे’ में ‘चूर’ हैं, बस इसलिए ‘मग़रूर’ हैं.. ..हम ‘मजे’ से ‘दूर’ हैं, बस…

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