तलाश
जिस्म के कद्रदान तो कई होंगे, हमें तो रूह-ए-उन्स की तलाश है।
जिस्म के कद्रदान तो कई होंगे, हमें तो रूह-ए-उन्स की तलाश है।
नटखट, ओ लल्ला मोरे तू काहें मोहे खिझायों। संग सखा तू पुनि-पुनि मटकी पर नज़र लगायो।। सब ग्वालन से मिलकर झटपट माखन खायो। नटखट ओ…
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