मुक्तक
न मैं तुलसी जैसा हूँ ,और न मैं खुसरो जैसा हूँ, मेरी कल्पना अपनी है ,सच नहीं दुसरो जैसा हूँ । हम सभी एक ही…
न मैं तुलसी जैसा हूँ ,और न मैं खुसरो जैसा हूँ, मेरी कल्पना अपनी है ,सच नहीं दुसरो जैसा हूँ । हम सभी एक ही…
“हक मेरी माँ को होता” मेरी तकदीर में जख्म कोई न होता, अगर तकदीर बनाने का हक मेरी माँ को होता, मेरी तस्वीर…
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.