Barsaat Narendra Singh 5 years ago इन हाथों में अरसों तक थी उनके हाथ की खुशबु। जैसे रातरानी से महकती रात की खुशबु। इत्र हो गई जो बूंदें लिपटकर उनसे, दुनिया को ये भरम कि ये बरसात की खुशबु।