ऐ भारत के अमीरों,
जरा देखो इन गरीबों को,
फटे हैं कपड़े तन पर इनके,
उजरे हैं बाल इनके,
दो वक्त की रोटी नहीं नसीब में इनकी,
बच्चे इनके हैं भूख से बिलख रहे,
किसी तरह सोते हैं फुटपाथ पर ये,
रहने को घर नहीं इनको,
जरा रहम करो तुम इनपर,
अपने हिस्से का कुछ पैसा देकर,
मदद को हाथ बढ़ाओ तुम,
कुछ नहीं बिगड़ेगा तुम्हारा,
बन जाएगी किस्मत इनकी,
रहेगा न कोई गरीब भारत में,
चारों तरफ अमन होगा |