Site icon Saavan

Gulam ग़ुलाम

©©ग़ुलाम ©©
15 अगस्त को हर साल आज़ाद हो जाता हूँ
फ़िर दिमाख से सोचना भी मेरे हाथ नहीं

हर पल हर तरफ़ ग़ुलामी में मर जाता हूँ
खाने का अनाज और दवा भी मेरे हाथ नहीं

जश्न ग़ैरों के ख़ुद ही मनाता आया हूँ
खुद के जश्न भी मुझे बरबाद करें सहीं

षडयंत्र में पाबन्द आज़ाद कहलाता आया हूँ
मुँह कान आँखें पर संवेदना मेरी नहीं

ग़ुलाम हूँ पथ्थर और पशु को पूजता हूँ
हर चीज़ का भक्त हूँ बस् विद्या का भक्त नहीं

ग़ुलाम हूँ इसीलिए इंसान होने से डरता हूँ
ग़ुलामी में समाधान, है ग़ुलामों के हाथ सही

योजनाएं मेरी नहीं, कार्यालय मंत्रालय मेरे नहीं
मेरी आरज़ू मेरी तरक्की भी मेरे हाथ नहीं

अनाज और मिट्टी में घौला है ज़हर इसतरह
बिना अस्पताल की सेहती कोई शाम नहीं

तेरी हड्डियाँ भी कहीं और बहा दी जायेगी
ऐ “चारागर” तेरी लाश भी यहाँ आज़ाद नहीं
– चारुशील माने (चारागर)

Exit mobile version