Ittefaq Siddhartha 6 years ago मिल जाओ कहीं तो इत्तेफ़ाक़ ही कह दूंगा… किस्मत की अड़ में चुप कर … दिल क जज़्बात ही कह दूंगा… आँखों में मत देखना मेरी… ये गुमराह कर लेती है… छुपा राखी थी दिल की जो बातें… बिन लफ्ज़ो क ही बयां कर देती है..