जब शागिर्द-ए-शाम तुम हो, ख़्याल-ए-ख़ल्क़ 1 क्या करें,
जुस्तुजू 2 ही नहीं किसी जवाब की जब, सवाल क्या करें।
1. दुनिया की परवाह; 2. तलाश।
जब शागिर्द-ए-शाम तुम हो, ख़्याल-ए-ख़ल्क़ 1 क्या करें,
जुस्तुजू 2 ही नहीं किसी जवाब की जब, सवाल क्या करें।
1. दुनिया की परवाह; 2. तलाश।