तुम खालिस्तानी हो या पाकिस्तानी
उतारा सेना को तो पड़ जाएगी भारी
सब्र ठहरा है इम्तिहान मत लेना
खून बहे तो फिर किसान आंदोलन मत कहना
पुलिस की जान को क्या तुमने समान समझा है
तलवार से खेल रहे हो क्या इकलौता औजार समझा है
उठानी अगर बंदूक पड़ गयी
तो हमने भी जमीं नहीं शमशान समझा है
किसानों को नमन करो
खालिस्तानी का दमन करो