Site icon Saavan

kya khoya ????

क्या खोया ?

निकला था मंजिलो को पाने

पर रास्तो से दिल लगा बैठा,

और कल को बुनने की जिद में

अपने आज को दांव पे लगा बैठा ।

दिल के अरमानो को आँखो

पर लिखा बैठा ,

और बदलते कल का मर्ज जानने

आज की हसरतो को मिटा मिटा बैठा ।।।।

नादाँ था सुथार

और थी नादाँ ये समझ मेरी

तभी तो भूल दुनिया के चेहरे

आईने से दोस्ती बना बैठा ।मत पूछ ऐ दोस्त क्या खोया है मैंने

चंद खुशियों की खातिर

मै ख्वाहिशो का दांव लगा बैठा ।

शौंक था मुझे मिट जाने का

सायद तभी बचा के उस लम्हे की नजाकत

मै हस्ती अपनी मिटा बैठा ।

poet@gulesh

Exit mobile version