हां बहुत से रिश्ते पाये है, मैंने अपने इस जीवन में
कुछ में है प्यार, कुछ में है स्वार्थ, सामने वाले के मन में
लेकिन एक बंधन ऐसा है, जिसमें सिर्फ सच्चा प्यार घुला
सबसे सुंदर सबसे न्यारा, माँ बेटे का उसको नाम मिला
आज उस माँ को करने वंदन, मैं समक्ष आपके आया हूं
त्रिदेव जिसके आगे बच्चे, बन जाते बताने आया हूं
जो कभी काली कभी सरस्वती, कभी दुर्गा नारायणी है
लेकिन अपने बच्चों के लिए, वो उनकी भोली माँ ही है
जन्नत का खजाना मेरी माँ , रहमत बरसाती मेरी माँ
सबसे अनुपम ;अप्रतिम, ख़ुदा कि कृति है मेरी माँ
गुस्से में प्यार घोल डांट देती, फिर गले लगाती मेरी माँ
चिंताओं का उठा पहाड़, उफ्फ तक भी ना करती मेरी माँ
जब नींद नहीं आती मुझको, मेरे संग संग जागे मेरी माँ
खुद गीले में सोती मुझको, सूखे में सुलाती मेरी माँ
लगती सबसे अच्छी गायिका, जब लोरी सुनाये मेरी माँ
मिलता इंद्रासन सा अहसास, जब गोद में सुलाये मेरी माँ
मुझसे ज्यादा मेरे खाने का, ध्यान रखती है मेरी माँ
मैं चाहे कितना परेशान करूं, फिर भी लाड लड़ाती मेरी माँ
मेरे संग में खूद बच्ची बन, खेलने लग जाती मेरी माँ
जो देख उसे मैं हॅ॑स जाऊँ, भूल जाती पीड़ा अपनी माँ
कदमों कि धूल माथे पर लगा, अम्बर मैं झुका दूं ऐसी माँ
तकलीफ में जो देखे मुझको, चट्टान बन जाती कोमल माँ
मेरी हर छोटी जरूरत बिना, बोले पहचाने मेरी माँ
मैं आंख का हूं तारा उसका, मेरी पथ प्रदर्शक गुरु भी माँ
आसमां सा हृदय विशाल उनका, बन तारा मैं खो जाता हूं
सागर सा लहराता आंचल, मोती बन मैं डूब जाता हूं
हां थोड़ी सी सेवा में ही पुण्य, चारों धामों का पाता हूं
आज दुनिया कि हर माँ को शीश, शत शत यह नवाता हूं