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परिंदे

बन्द पिंजरे से उड़ जाने का अरमान लिए बैठे हैं,

कुछ परिंदे अपनी आँखों में आसमान लिए बैठे हैं,

बनाये थे जो कभी रिश्ते इस ज़ालिम ज़माने से,

आज उसी की बनाई सलाखों में नाकाम हुए बैठे हैं।।

– राही (अंजाना)

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