फकत सी बात हैं यारा
ये आँखे बोल देती हैं
छूपाना चाहता हैं तु
मगर ये राजे
खोल देती हैं
पुरानी यादो के वो मंझर
ज़मी पे पावं रखते थे
बगल कि एक झोली में
करो ड़ो दाव रखते थे
कसक उंन बीते दिनो
ठशक सी रोज देती हैं
समय का दौर एेसा हैं
ज़रा इसको गुजरने दो
और हमारा दौर आने दो