रीता जयहिंद ?? 9717281210
प्रार्थना – ?????
हे भगवन् भाव ह्रदय में छुपाकर
श्रद्धा के कुछ सुमन चढ़ा कर
आँख से अश्रुओं को रोककर
द्वार पर तुम्हारे मैं अलख जगाकर
प्रसाद में कुछ फल में लाकर
तुम्हें रिझाने की खातिर
मुस्कराहट की चादर ओढकर
शीश चरणों में नवाकर
विनय भाव से विनती करने आई हूँ
रूठ जाये चाहे मुझसे जग सारा
तुम हरदम देना मुझको सहारा
कभी ना छोड़ना साथ हमारा
बस इतनी रहमत हम पर बरसा देना
और नहीं मैं तुम से कुछ माँगू
जब भी हम तुम्हें पुकारें
एक झलक हमें दिखला जाना
राधे – राधे जय श्री राम
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