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Shayari

यूँ बनती बिगड़ती किस्मत की
नुमाइश ना कर बन्दे
तक़दीर सँवरती नहीं
शिकायत के पुलिंदों से
©अनीता शर्मा
अभिव्यक्ति बस दिल से

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