शोक-ए-हिज्र1 करूँ या फिर आज जश्न-ए-वस्ल2 करूँ
उनके पलभर के आने-जाने में, जिंदगीभर का रसद3 था।
1. विरह का दुख; 2. मिलन का उत्सव; 3. आपूर्ति (भावनाओं की)।
शोक-ए-हिज्र1 करूँ या फिर आज जश्न-ए-वस्ल2 करूँ
उनके पलभर के आने-जाने में, जिंदगीभर का रसद3 था।
1. विरह का दुख; 2. मिलन का उत्सव; 3. आपूर्ति (भावनाओं की)।