तेरे आने से बाहरे आती है,
तेरे जाने से बाहरे जाती हैं,
महफिल मे गर आ जाओ
तुम तो चार चांद लग जाए,
मौसमे बाहरे महफिल में छा जाए,
कितना चाहती हूं तुझे यह पता ही नहीं,
बया चाहती हूं करना पर से मुख
पर बातें आती ही नहीं,
तू ही बता मैं वया कैसे करूं,
तू ही बता मैं इजहार कैसे करूं,
तेरी बातें मुझे मिश्री की गोली लगती है,
भूलना चाहूं तुझे पर मैं भूल पाती नहीं,
तारे गिन गिन के दिन बीतते हैं,
तेरे आने की राह देखती हूं,
आ जाओ बस तुम तो बात बन जाए |