बेशक़ सहमा ज़रूर, पर कभी टूटा नही,
तेरे लाख डराने पे, कभी रूठा नही,
तेरा इतरांना भी अंदाज़-ए-हसीन ज़िंदगी,
पर मेरे हौंसलो का साथ अभी छूटा नही।
– पीयूष निर्वाण

बेशक़ सहमा ज़रूर, पर कभी टूटा नही,
तेरे लाख डराने पे, कभी रूठा नही,
तेरा इतरांना भी अंदाज़-ए-हसीन ज़िंदगी,
पर मेरे हौंसलो का साथ अभी छूटा नही।
– पीयूष निर्वाण