अकेलापन Pt, vinay shastri 'vinaychand' 3 years ago गलियों को छोड़ हम इन्कलेभ में आ गए। छोटे छोटे घर आज महलों में छा गए।। दूर हो गए चाचे – ताए पड़ोसियों में छाया मतभेद। पाकर अकेलापन में बन्धु विनयचंद के मन में खेद।।