Site icon Saavan

अन्नदाता

खेतों से निकल कर सड़को पर क्यों उतर आना पड़ा,
लाल किले पर उत्तेजित हो क्यों झण्डा लहराना पड़ा।।

लेकर ट्रेक्टर रैली में बढ़ चढ़के क्यों डण्डा खाना पड़ा,
रस्ते पर लगा टेण्ट रातों में आखिर क्यों सो जाना पड़ा॥

अन्न उगाने वालों को आखिर भरभर के क्यों ताना पड़ा,
अपनी ज़मीन को लेकर सरकारों से क्यों टकराना पड़ा।

कमी कहाँ थी संसद में जो बिल किसान बनवाना पड़ा,
मुश्किल हुआ जवाब नहीं तो क्यों पल्ला छुड़ाना पड़ा।

राही अंजाना

Exit mobile version