मुस्कुराना
मुस्कुरा कर बोलना, इन्सानियत का जेवर है। यूं तेवर न दिखलाया करो, हम करते रहते हैं इंतज़ार आपका, यू इंतजार न करवाया करो। माना गुस्से में लगते हो, बहुत ख़ूबसूरत तुम पर हर समय गुस्से में न आया करो। बिन खता के ही खतावार से रहते हैं हम, यूं न हमें डराया करो। एक दिन छोड़ देंगे हम ये जहां, फिर ढूंढोगे तुम हमें कहां। तो मुस्कुराओ जी खोलकर, कह दो जो कहना है बोलकर। हमको यूं न सताया करो, मुस्कुराना इन्सानियत... »