खूब बातें हो गई हैं,
अब लगो उत्थान में,
देश आशा में लगा है,
मत चलो अवसान में।
खूब दूजे पर उछाला
कीच अब रहने भी दो,
एक दूजे को समन्वित
बात तुम रखने भी दो।
सब चलो मिलजुल के राही
देश को बढ़ने भी दो,
छोटी-छोटी बात को तुम
मत करो, रहने भी दो।
ताड़ तिल का मत बनाओ
आड़ ओछी छोड़ दो,
पिस न पाए आम जनता
दाढ़ अपना तोड़ लो।
बस चुनावों तक रहे यह
एक दूजे पर निशाना,
बाद में मिलकर चलो सब
देश है आगे बढ़ाना।