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आत्मसम्मान जीवित रखो

आत्मसम्मान जीवित रखो
वक्त काफी कठिन क्यों न हो,
बस रहो कर्मपथ पर अडिग
वक्त काफी कठिन क्यों न हो।
मन में घबराहटों के लिए
कोई स्थान ही मत रखो,
खोज कर खूब सारी उमंगें
जिन्दगी को सफल कर चलो।
आप डालो नजर एक उन पर
बोझ ढ़ोते हुए श्रमिकों पर
हैं कमाते बहाकर पसीना,
चल रहे आत्मसम्मान पर।
हो सके न्यून आधिक्य कुछ भी
काम कर के कमाओ व खाओ
छोड़ कर हाथ पैरों को पथ में
आप अपना समय मत लुटाओ।
आत्मसम्मान जीवित रखो
वक्त काफी कठिन क्यों न हो,
बस रहो कर्मपथ पर अडिग
वक्त काफी कठिन क्यों न हो।

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