आपकी पंक्तियों से Satish Chandra Pandey 3 years ago आपकी पंक्तियों से मन हुआ गदगद हमारा, इस तरह के स्नेह का भूखा रहा है मन हमारा। नेह यह, आशीष यह यूँ ही रहे सिर पर हमारे, प्रेम बढ़ता ही रहे यह चाहता है मन हमारा। @शास्त्री जी