आशियाना राही अंजाना 8 years ago बीत गया सुकूँ का बादल अब शिकन का मौसम आया है, जो लगता था आशियाना अपना सा कभी, आज उड़ कर आये गैर परिंदों का घर लगता है, बनाये थे शिद्दत से अपने जो घोंसले हमने, आज तिनको सा बिखरता हमारा घर लगता है॥ राही (अंजाना)