इतने कांटे पाए हैं….. प्रतिमा चौधरी 4 years ago इतने कांटे पाए हैं मैंने राहों में , कि फूलों की चाह ना रही । इतने रास्ते बदले हैं मैंने पल-पल , कि मंजिल की चाह ना रही।