इश्क का मारा (शायरी) मोहन 4 years ago कोई गरीबी का मारा , कोई बदनसीबी का मारा , कोई वक्त से परेशान हैं , कोई अपनों का मारा । मगर वो बेपरवाह सा, मगन अपने दर्द में, जो है इश्क का मारा।