इश्क का मारा (शायरी)
कोई गरीबी का मारा ,
कोई बदनसीबी का मारा ,
कोई वक्त से परेशान हैं ,
कोई अपनों का मारा ।
मगर वो बेपरवाह सा,
मगन अपने दर्द में,
जो है इश्क का मारा।
कोई गरीबी का मारा ,
कोई बदनसीबी का मारा ,
कोई वक्त से परेशान हैं ,
कोई अपनों का मारा ।
मगर वो बेपरवाह सा,
मगन अपने दर्द में,
जो है इश्क का मारा।
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वाह वाह
धन्यवाद सर
वाह ,क्या बात है
बहुत आभार मैडमजी 🙏
Welcome
बहुत ही सुंदर
बहुत-बहुत आभार 🙏 सर
बहुत ही उम्दा