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उड़ा खुशबू

हजारी खिल, उड़ा खुशबू
बुला भंवरा, सुना संगीत।
भेज संदेश, प्यारा सा,
बुला तू अब, मेरा मनमीत।
रही है जो, भी चाहत सी
उसे मकरंद में रखकर
सुगंधित कर फिजायें सब,
बढ़ा दे ना, परस्पर प्रीत।
मौसम गया, बरसात का
शरद रितु है, मुहाने पर,
बुला दे प्रिय, को मेरे
न आया जो, मनाने पर।
शब्दार्थ –
हजारी – गेंदा

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