Site icon Saavan

एक दीप जलाओ ऐसा

सौ दीप जला लो मंदिरों में,
चाहे हजार दीये जले तेरे आँगन में,
जब-तक तेरे मन की तम ना होंगे दुर ।
तब-तक है तेरे सारे दीये की रौशन सुन ।।
——————————————————-
एक दीप जलाओ ऐसा
जिससे विकार दूर हो तेरे मन का
एक दीप जलाओ ऐसा
जिससे विकार दूर हो तेरे मन का
——————————————-
एक दीप जलाओ ऐसा
जिससे विकार दूर हो तेरे मन का ।।1।।
——————————————
झुठी सुख के पीछे भागोगे तो दुख ही मिलेगा
जब तक कर्म फल में तेरी आसक्ति रहेगा
ये फल की इच्छा तुम्हें चैन से सोने न देगा
झुठी सुख के पीछे भागोगे तो दुख ही मिलेगा
—————————————–
एक दीप जलाओ ऐसा
जिससे विकार दूर हो तेरे मन का ।।2।।
———————————————-
है सभी समस्याओं का निवारण दाता के नाम में
मन का विकार हटता सिर्फ ब्रह्मचर्य-पालन से
ब्रह्मचर्य एक परम साधना है,
जिसके करने से सब पाप मिटता है
ब्रह्मचर्य एक परम दीप है -2
जिसे तुम्हें अपने उर में जलाना है ।।
————————————————
एक दीप जलाओ ऐसा
जिससे विकार दूर हो तेरे मन का ।।3।।
कवि विकास कुमार

Exit mobile version