एक सखी मेरी प्यारी सी,
कोमल मन की न्यारी सी।
कभी क्रोध की अनल में तपे,
कभी स्नेह बरसाती है
कभी कहा माने चुपके से,
कभी अपनी भी चलाती है..
एक सखी मेरी प्यारी सी,
बहुत नेह बरसाती है ।
मिली मुझे वो सावन – भादों में ,
सोने सा सुंदर मन है उसका,
चारु चंद्र की चंचल किरण सी,
मेरे जीवन में, शीतल चांदनी लाती है।
वो बहुत नेह बरसाती है,
एक सखी मेरी प्यारी सी..
______✍️गीता______