ए ज़िन्दगी Pragya 4 years ago ए ज़िन्दगी अब तेरी आरज़ू ना रही मेरी सासें इक डोरी सी हैं पर मन की वो तिजोरी ना रही अब तक तो गनीमत थी पर अब तो माँ भी सुनाती है तू मेरी थी पर अब मेरी ना रही ए ज़िन्दगी अब मुझे तेरी ज़रूरत ना रही।