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“ऐ फ़लक ऐ हवा वो नजारा क्या हुआ”

ऐ फ़लक ऐ हवा वो नजारा क्या हुआ।
हर शाम जो दिखा था वो सितारा क्या हुआ।।
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हमसें निभाया न गया क़िरदार जिंदगी का।
जब छोड़ दी है दुनिया फिर तमाशा क्या हुआ।।
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झूठी थी सारी कसमें फिर भी यक़ीन किया।
हमनें किया था ये क्यूँ अब इज़ाफ़ा क्या हुआ।।
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ख़त में नहीं था कुछ भी तुमको भी था पता।
जो साथ गया था उसके वो लिफ़ाफ़ा क्या हुआ।।
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साहिल से कह जो देते वो रह जाता भँवर में।
इरादतन डुबोके वैसे तुम्हारा मुनाफ़ा क्या हुआ।।
@@@@RK@@@@

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