और बात थी ओमप्रकाश चंदेल 8 years ago बात गर खत्म हो जाती तो और बात थी। रात गर खत्म हो जाती तो और बात थी। हीर और राँझा अब भी है देश में लेकिन जात गर खत्म हो जाती तो और बात थी। ओमप्रकाश चंदेल “अवसर” पाटन दुर्ग छत्तीसगढ़